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काजोल की चूत चुदाई-कथा

Written By Mukta on Friday 11 September 2015 | September 11, 2015

 

Kajol Ki Choot Chudai Katha
हाय मेरा नाम प्रेम है और मैं राजकोट, गुजरात से हूँ।
यह कहानी मेरे मित्र की बहन काजोल के कौमार्य भंग करने की है।
अगर आप सोच रहे थे कि यह कहानी फिल्म अभिनेत्री काजोल देवगन Kajol Devgan जो तनुजा Tanuja की बेटी है, उसकी है तो आप गलत सोच रहे थे!
क्या माल है वो… बर्फ़ की चादर से सफ़ेद शरीर में पर्वत से दो उन्नत शिखर हिमालय की तनी हुई चोटियों की भांति खड़े हुए हैं।
उसका भरा हुआ जिस्म जैसे सिर्फ चुदने के लिए ही बना हो..
36-28-34 का उसका कटाव भरा जिस्म देखते ही लंड से पानी छूट जाता है।

सौभाग्य से वो मेरी गर्लफ्रेण्ड है और मैं उसका आशिक हूँ..
मेरा मन बार यह कहता था कि इसको चोद डाला तो लाइफ़ झिंगालाला..
काजोल की सील उसके स्कूल के दिनों में ही टूट चुकी थी.. वो भी एक पिकनिक में गणित के टीचर के गुणा-भाग के साथ..
मैं आपके लिये आगे की कामकथा काजोल के ही शब्दों में लिखता हूँ..
आप आनन्द लीजिए.. और अच्छी लगे तो.. मूठ भी मार सकते हैं।
हाय मैं काजोल.. आज मैं आपको अपनी पहली चुदाई का अनुभव सुनाना चाहती हूँ।
मैं उस समय स्कूल में थी और पढ़ाई में साधारण थी लेकिन मेरे आगे लड़कों की लाइन लगती थी।
पर मेरा एक ही ब्वॉय-फ्रेंड था जिसका नाम था समीर और वो हर रोज मेरे मम्मे दबाता था और चुम्बन करता था।
क्या मर्दाना जिस्म था उसका.. हाय.. मेरी चूत की फांकें फड़क उठती थीं।
यह कहानी तब की है जब मैं ग्यारहवीं में पढ़ती थी और हमारे स्कूल से अहमदाबाद साइन्स सिटी में एक पिकनिक थी।
उसमें ग्यारहवीं कक्षा के तीन क्लास के छात्र जाने वाले थे।
उसमें दो समूह लड़कों के थे और एक लड़कियों का था।
हम सुबह सात बजे दो स्कूल बसों में राजकोट से निकले और दोपहर को करीब ग्यारह बजे वहाँ पहुँच गए।
साइन्स सिटी पहुँचने के बाद हमारे साइन्स टीचर हमें एक-एक के बारे में मॉडल समझा रहे थे लेकिन सभी अपनी मस्ती में मशगूल थे।
समीर पीछे से अपना हाथ मेरी पिछाड़ी में फिरा रहा था।
बाद में खा-पी कर हम गार्डन में खेल रहे थे, तभी समीर ने आकर मुझसे कहा- सेक्स करना है.. चलो बस में कोई नहीं है.. पाँच-दस मिनट में निपट कर वापस आ जायेंगे.. किसी को पता नहीं चलेगा।
मैंने कहा- तुम जाओ.. मैं तुम्हारे पीछे-पीछे आती हूँ.. ताकि किसी को शक न हो।
हम दोनों चुपके से बस में चढ़ गए और एक-दूसरे से चिपक कर चुम्बन करने लगे।
वो मेरे मम्मे ऐसे दबा रहा था कि जैसे मैं उसके बाप का माल हूँ।
मैंने भी जोश में आकर उसका लन्ड पैन्ट के बाहर से ही पकड़ लिया।
वो मेरे कपड़े उतार रहा था तभी मेरी नजर हमारे गणित के सर पर गई जो खिड़की से हमारी कामलीला का एमएमएस बना रहे थे।
मेरे तो पसीने छूट गए थे।
तभी सर बस के दरवाजे से बस में अन्दर आ गए।
मैं केवल ब्रा और पैन्टी में थी और समीर जीन्स पहने हुआ था।
सर आकर बोले- तुम्हारी ये हरकतें इस एमएमएस के द्वारा अब प्रिंसीपल के पास जायेंगी और अब तुम दोनों को स्कूल से निकाल दिया जाएगा।
यह सुनते ही मेरी आँखों से आँसू बहने लगे..
मैं रोने लगी और सर को मनाने लगी- मुझसे गलती हुई है.. अब कभी नहीं होगा..
तभी समीर हँसने लगा।
मैं यहाँ रो रही थी और समीर को हँसता देख कर मैं चौंक गई।
तभी सर भी हँसने लगे.. अब मुझे पता चल गया था कि समीर और सर ने मिल कर मुझे फंसाया है।
सर मेरे पास आकर मेरी कमर में हाथ रख कर बोले- बिना कपड़े में तो तुम पोर्नस्टार लग रही हो.. भगवान ने भी क्या इकलौता पीस बनाया है।
इतना कहते ही उनका हाथ मेरे चूतड़ों पर घूमने लगा और उनका मुँह मेरे मुँह के पास आ कर मेरी जीभ पर आकर थोड़ा अटका और अपने हाथ से मुझे पीछे से धक्का दे कर अपने शरीर से चिपका लिया।
मैंने भी सोचा कि अपने को तो चुदाई के काम से मतलब.. कौन चोद रहा है उससे क्या लेना देना..
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब मैं भी बिंदास हो कर सर का साथ चूमने में देने लगी।
उनका हाथ मेरे मम्मों को निचोड़ रहा था और समीर खड़े-खड़े ही मजा ले रहा था।
तभी सर ने मेरी ब्रा उतार कर फेंक दी।
अब मेरे दोनों कबूतर उछल कर खुले वातावरण में आ गए थे..
तभी सर ने अपनी शर्ट और बनियान उतार दी।
मैं तो अभी उनकी मस्त बॉडी देख रही थी.. तभी उन्होंने मुझे धक्का मार के सीट पर गिरा दिया और अपनी पैन्ट निकालने लगे..
और मैं भी अपनी पैन्टी उतारने लगी…
सर एकदम से मुझ पर चढ़ गए और मेरे पूरे जिस्म को रगड़ने लगे।
मेरी चूत अब गीली होने लगी थी इसीलिए सर ने अपना लन्ड हाथ में लिया और मेरे मुँह में डालने लगे।
मैंने मना कर दिया और कहा- मुझे लन्ड चूसना अच्छा नहीं लगता.. मैं नहीं चूसूँगी।
सर- तू अपनी रानी है.. तुझे नहीं पसन्द.. तो मैं भी जिद नहीं करूँगा.. पर अब तेरी सील को तो टूटना ही होगा।
सील टूटने की बात सुनते ही मेरा मुँह बिगड़ गया क्योंकि मैंने सुना था कि इसमें बहुत दर्द होता है और खून भी निकलता है।
तभी सर ने एक क्रीम निकाल कर मेरी चूत पर लगाने लगे और कहा- इससे दर्द कम होगा।
पास में खड़ा समीर भी हँसने लगा और अपना मोबाइल निकाल कर वीडियो बनाने लगा..
सर अब मुझ पर लेट कर मेरे मुँह पर अपना मुँह रख कर चुम्बन करने लगे और अपना लन्ड मेरी चूत पर सैट कर दिया और मेरी चूत पर धीरे-धीरे लंड को फिराने लगे।
और अचानक… मेरे मुँह से एक जोर की कराह निकल पड़ी- आआ.. हहाह.. ह्ह्हाहह्हाह..
लेकिन वो आवाज सर के मुँह में ही दब कर रह गई और सर ने मेरी चूत में अपना लन्ड धीरे-धीरे करके पूरा पेल दिया और अन्दर-बाहर करने लगे मैं पहले तो बहुत पीड़ा झेलती रही फिर मुझे स्वर्ग में पहुँचने जैसा अहसास होने लगा।
पाँच मिनट के बाद ही मैं झड़ गई..
लेकिन सर ने अन्दर-बाहर चालू रखा और मेरे मुँह से निरंतर ‘आ.. आह्ह..अआह’ निकलता रहा ।
और तभी सर ने अपना पानी मेरी चूत में ही छोड़ दिया।
अब सर ने निढाल होकर अपना पूरा शरीर मुझ पर रख दिया और मुझ पर ही ढेर हो गए।
कुछ पलों के बाद सर खड़े होकर मेरे गालों पर चुम्बन करके अलग हो गए…
वे अपने कपड़े पहनने लगे और समीर से कहने लगे- अब समझ तू पास हो ही गया…
उन्होंने अपने पर्स में से पाँच हजार निकाल कर समीर के हाथ में थमा दिए।
अब मुझे समझ में आ गया था।
तभी समीर ने अपनी पैन्ट निकाल कर अपना लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया और मुझे धकाधक से चोदने लगा.. मैं उससे कुछ और नहीं कह सकी…
समीर ने भी मुझको जी भर के चोदा…
बाद में हम कपड़े पहनने के बाद बस में से उतर कर अलग-अलग दिशा में जाने लगे ताकि किसी को शक न हो।
अब मेरा पूरा जिस्म दर्द कर रहा था.. लेकिन आज मेरा चुदने का सपना भी पूरा हुआ था…
कैसी लगी आपको काजोल की कहानी, अपने विचार इस ईमेल पर भेजें।
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